हाइकु














Vasundhara

an Anthology of Maithili Haiku

written by

Binit Thakur


सम्पादक                     :       रमेश झा
प्रकाशिका                    :       कालिन्दी ठाकुर
सर्वाधिकार                   :       प्रकाशिका
सल्लाहकार                  :       वैद्य मिथिलेश ठाकुर मनू
प्रकाशन वर्ष                 :       वि=सं= २०७४ माघ
                                       =सं= २०१८ जनवरी
संस्करण                     :       प्रथम
प्रकाशन प्रति                :       ५०१
मिथिलाक्षर फन्ट           :       गंगेश गुंजन झा श्रवीण मिश्र       
कम्प्यूटर विन्यास          :       विनीत ठाकुर
लेआउट                     :       गंगेश गुंजन झा
मुद्रक                         :       गौरी शंकर राउत
                                        युनिक प्रिन्ट सर्भिस
                                        पुल्चोक, ललितपुर

मूल्य                          :       रुपैयाँ २५०
                                        ( नेपाल मे ने=रु= भारत मे भा=रु= )
                                        संस्थागत रु= ५००

सुझाबक लेल सम्पर्क पता :
                विनीत ठाकुर
                मिथिला बिहारी नगरपालिका
                मिथिलेश्वर मौवाही
                ईमेल : binitmaithil@gmail.com
                मोबाईल नं= : ००९७७९८४१५६३४०८
                ISBN : 978-9937-0-3972-7



कृति पूजनीय पिता श्री ब्रह्मदेव ठाकुर
एवं पूजनीया माता

शान्ति देवीक चरणकमल मे समर्पित अछि





शुभकामना

    साहित्यकार विनीत ठाकुर मैथिली भाषाक ज्ञाता एवम् कुशल स्रष्टा छथि तिरहुता लिपिक प्रबर्धन करैत अपन मातृभाषा मैथिली लगायत नेपालक साझा भाषा नेपाली मे समानान्तर रुप सँ काव्य  सृजना करैत छथि काव्य सर्जक ठाकुर नेपालक एकटा उदीयमान साहित्यकार छथि मैथिली नेपाली दुनु भाषा मे कृति सब रचना कएने छथि सृजना मे नवनव प्रयोग करऽ मे रुचि रखनिहार ठाकुर जापानी साहित्य मे अत्यन्त लोकप्रिय हाइकु के मैथिली भाषा साहित्य मे नवप्रयोग कएलन्हि अछि संक्षिप्त आकार लय के अन्विति मे लिखल जाय बला हाइकु अखन के व्यस्त मनुक्ख सभक लेल आकर्षक रोचक रहल अछि

    मिथिलाक भूगोल मे रहल प्राकृतिक सौन्दर्य, मैथिली संस्कृति के लालित्य, कोमलता श्रमजीवी किसान मजदूर सभक पीड़ा रहल एहि हाइकु संग्रह के सब हाइकु मर्मस्पर्शी सहज अछि नेपालक मैथिली साहित्य भण्डार मे नव कृति दऽ कवि विनीत ठाकुर मैथिली भाषाक पाठकक समक्ष उल्लेखनीय काज कएलन्हि अछि हुनक सृजना कर्म के प्रोत्साहित करैत कृति सार्वजनिक करऽ मे कवि ठाकुर सफल होथि से कामना करैत हार्दिक बधाई ज्ञापन करैत छी हुनक सृजनशीलता उर्वर होइथि रहन्हि से शुभकामना अछि

        गङ्गाप्रसाद उप्रेती
        कुलपति
        नेपाल प्रज्ञाप्रतिष्ठान
        कमलादी, काठमाण्डू





जापान सँ आयातीत साहित्यक विधा हाइकुक सन्दर्भ मे

    मैथिली नेपाली साहित्यक विविध विधा पर कलम चलाबऽ बला विनीत ठाकुरक बहुआयामिक साहित्यिक व्यक्तित्व प्रखर रुपेँ अग्रसारित भऽ रहल छन्हि मैथिली लिपिभाषाक प्रबर्धन प्रचारप्रसार हेतु व्यग्र व्यक्तित्वक रुप मे परिचित छथिए, आब हुनक व्यक्तित्वजापान सँ आयातीत साहित्य हाइकु स्रष्टाक रुप मे सेहो आगू बढि़ रहल छन्हि कवि विनीतजी मैथिलीनेपाली दुनु साहित्यक बीच सेतुक रुप मे कार्य करिते छथि आब हाइकु संग्रहवसुन्धरा प्रकाशन कऽ जापान सँ आयातीत साहित्यक विधा 'हाइकु के माध्यम सँ पाठक लोकनिक समक्ष नव विधाक स्रष्टाक रुप मे सेहो प्रस्तुत भेलाह अछि जे खुशीक बात अछि अपन माटिपानि सँ जुड़ल संस्कृति, प्रकृति, वेशभूषा,  खानपान, रीतिरिवाज, खेतखरिहान आदि के अपन कथाकवितागीतनिबन्ध जन्य आलेख मे विशेष स्थान देवाक कारणें नेपाल सरकारक तरफ सँ कवि विनीतजी राष्ट्रपतिद्वाराजन सेवा श्री सम्मान सँ सम्मानित भेलाह अछि तसर्थ हुनका हार्दिक बधाई साधुवाद

    मैथिली साहित्य मे कवि विनीतजी तेसर कवि छथि जे हाइकु विधा पर अपन लेखनी चलेलन्हि अछि हाइकु एकटा छन्दमुक्त कविता  अछि   साहित्य मे सब सँ छोट कवितामुक्तकके रुप मे लिखल जाइत अछि जाहि मे छन्दक बन्धन नहि भऽ भावक गंभीरता होइत छैक आब ताहु सँ छोट कविताहाइकुलिखल जा रहल अछि जे जापान सँ आयातीत अछि एहि मे मात्र तीन पंक्ति मे १७ वर्णक समावेश रहैत अछि प्रथम पंक्ति मे वर्ण, दोसर मे वर्ण तेसर मे वर्ण रहैत अछि संयुक्त वर्ण के एकेटा वर्ण मानल जाईत अछि अर्थात्





हाइकुलघुतम सूक्ष्म भाव भरल कविता अछि हाइकुक वण्र्य विषय प्रकृति, रीतिरिवाज, खेतखरिहान, गाछवृक्ष, ऋतु परिवत्र्तन, चुट्टीपिपरी, पशुपंक्षी आदि सँ विशेष रुपेँ लेल जाईत छैक तैँहाइकु विधाक आधार प्रकृति अछि तसर्थ हाइकु के प्रकृति काव्य कहल जाईत छैक विनीतजीक हाइकु संग्रहवसुन्धरामे प्रकृतिक विहंगम दृश्य सूक्ष्म रुपेँ सजीव भऽ मूत्र्त रुप मे प्रकट भेल अछि जे हुनक साहित्यसाधनाक परिणाम अछि कविक दुटा हाइकु प्रकृतिक चित्र लऽ स्थापित भेल अछि से द्रष्टव्य अछि :

डोकहर के
लग मे गहुमन
उगले विष  

घोटि कऽ मृग
अजगर अचेत
पिबे बसात

    एहने प्रकृतिक चित्र सब स्थापित करैत एहि हाइकु संग्रह वसुन्धरापुस्तक मे १०० हाइकु संग्रहीत अछि सब हाइकु उपरिजुपरि अछि कोन नीक कोन अधलाह नहि कहल जा सकैत अछि अतः संक्षेप मे कहल जा सकैत अछि जे कवि विनीतजी अपन सब हाइकु मे प्रकृति प्रेम, हर्षविषाद, आशानिराशा आदि सब के समुचित समन्वय कएने छथि तैँवसुन्धरा रुप मे हाइकु संग्रह मननीय, पठनीय संग्रहणीय पुस्तक अछि आशा अछि पाठक लोकनि एहि संग्रह के समादृत करथिन्ह जाहि सँ विनीतजीक साहित्यिक प्रतिभा साधना मे उत्तरोत्तर वृद्धि हेतन्हि हुनका हार्दिक बधाई

        रमेश झा
        सहप्राध्यापक
        केन्द्रीय संस्कृत विभाग
        त्रि=वि=वि= कीर्तिपुर





विनीत रचित मैथिली हाइकु पर एक विहंगम दृष्टि

    विनीत ठाकुर निरन्तर क्रियाशील स्रष्टाक रुप मे एकटा परिचित तथा चर्चित नाम अछि एहि क्रम मे मैथिली हाइकु संग्रह लऽकऽ पाठक समक्ष प्रस्तुत भेल छथि हुनक एहि कृति मे कुल १०० हाइकु संग्रहीत अछि

    हाइकु के संगसंग कविता, कथा, गीत, लेख, निबन्ध आदि विधा मे कलम चलाबऽ मे क्रियाशील छथि मैथिली आओर नेपाली साहित्य जगत् मे हुनक बहुआयामिक साहित्यिक व्यक्तित्व खूब लोकप्रिय छनि हुनका द्वारा रचित गीति संग्रह, मैथिली सँ नेपाली मे अनुदित कथा संग्रह, मैथिली नेपाली भाषाक लब्धप्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रपत्रिका तथा वेबसाइट सब मे प्रकाशित कथा, कविता, निबन्ध, धर्मसंस्कृति सम्बन्धी आलेख सब बेस चर्चित पठनीय अछि युगकवि सिद्धिचरण श्रेष्ठक कविता के हिन्दी मे अनुवाद सेहो कएने छथि जे प्रकाशन के क्रम मे अछि मैथिली फिल्म एल्बम सब मे बहुत गीत लिखने छथि जे खुब लोकप्रिय प्रशंसनीय अछि विनीतजी मैथिली लिपि के प्रबर्धन साहित्यक सेवा हेतु विभिन्न संघसंस्था द्वारा अनेकानेक साहित्यिक मानसम्मान सँ सम्मानित स्रष्टा छथि

    एतऽ चर्चाक विषय अछि विनीत ठाकुरजी रचित मैथिली हाइकु संग्रह  'वसुन्धराके हाइकु कविता मूल रुप सँ जापानी कविता अछि, मुदा आब विधा विश्वसाहित्य जगत् मे खुब लोकप्रिय भऽरहल अछि एतऽ धरि कि अंग्रेजी तथा विश्वक अनेक भाषा सबहक संग हिन्दी आओर नेपाली साहित्य मे सेहो हाइकु प्रमुख विधा बनि चुकल अछि एतबे नहि नेपालक मातृभाषा सब मे सेहो हाइकु विधा अत्यन्त लोकप्रिय भऽ साहित्यजगत् मे छपि रहल अछि

    नेपालक सांस्कृतिक, भाषिक, धार्मिक विविधता सब के एकताक सूत्र मे जोड़ब हमरा सभक परम कत्र्तव्य अछि नेपाली भाषा साहित्य के संगसंग नेपालक सम्पूर्ण मातृभाषा साहित्य के विविध विधाद्वारा संरक्षण संबद्र्धन करब सभ साहित्यकारक दायित्व अछि विनीत ठाकुरजी मैथिली भाषा के संगसंग नेपाली भाषा के विविध विधा मे सफलतापूर्वक कलम चला कऽ हमरा सभक बीच के आपसी सद्भाव





आओर एकताक भाव के सुदृढ़ करबाक मार्ग मे उल्लेखनीय योगदान प्रदान कऽरहल छथि तैँ हुनका हार्दिक बधाई नेपाली आओर मैथिली दुनु साहित्यकारक बीच मे एकटा सेतुक रुप मे कार्य कऽ रहल  छथि विनीत ठाकुरजी अपन मातृभूमिक परिवेश तथा पर्यावरण के पृष्ठभूमि मे राखि कऽ एहि कृति के सृजना कएने छथि अपन ग्राम्य वातावरणक सघन अनुभूति द्वारा अपन मातृभाषाक लालित्यक संग हाइकु के माध्यम सँ सुन्दर ढ़ंग सँ सम्प्रेषण कएने छथि

    हाइकु लघुतम प्रकार के कविता अछि वर्तमान मशीनी युग मे हाइकु सर्वाधिक लोकप्रिय विधा के रुप मे प्रचलित अछि यद्यपि एकटा कठिन साधना अछि तथापि विनीतजी हाइकु के नियम के यथोचित पालन करैत अत्यन्त परिश्रम, लगन धैर्यक संग अपन सृजना के प्रस्तुत कएने छथि प्रस्तुत हाइकु कविता सब तीन पूर्ण पंक्ति मे लिखल गेल अछि प्रथम पंक्ति मे अक्षर, दोसर पंक्ति मे अक्षर आओर तेसर पंक्ति मे अक्षर अर्थात् कुल १७ अक्षर के अत्यन्त संक्षिप्त कविता प्रस्तुत कएल गेल अछि एहि मे विनीतजी हाइकु विधाक अनुशासन के पूर्ण पालन कएने छथि

    हाइकु के प्रकृति काव्य सेहो कहल जाइत अछि प्रस्तुत संग्रह मे प्रकृति के मनोरम चित्रण प्रस्तुत भेल अछि प्रकृति के बाह्य अन्तः प्रकृति के सजीव वर्णन एतऽ भेल अछि ऋतु सूचक शब्दक अधिकता हाइकु के जीवन्त बना देने अछि प्रमाण स्वरुप देखू एकटा हाइकु :

कमला स्नान
मिथिलाक भूमि पऽ
लागय स्वर्ग

    भाव कला के सम्यक समन्वय विनीतजी अपन हाइकु कविता सब मे कयने  छथि प्रेमक संग जीवनक अनुभूति सब, जीवन मे प्राप्त आशानिराशा, हर्षविषाद, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक विसंगति सब सेहो एतऽ चित्रित भेल अछि प्रकृति के शाश्वत सत्य, युगीन मूल्यमान्यता मे परिष्कार के आवश्यकता पर बल देल गेल अछि बास्तव मे हाइकु कविता समाजक लेल पथ प्रदर्शक अछि मुहाबरा के सहज प्रयोग, भावानुकूल भाषा, संवेदनशीलता, प्रवाहमयता, अनुभूतिक सघनता, लालित्यमयता आदि गुण के कारण हाइकु कविता सब अत्यन्त हृदयस्पर्शी बनि पड़ल अछि





    एहि मे सब शब्द सार्थक अछि जाहि मे एकटा पूर्ण बिम्ब सजीव बनल अछि प्रतीक चयन सेहो सार्थक सटीक अछि एहि मे हाइकु के अनिवार्य शर्त, कवित्व पूर्ण रुप मे कायम अछि जाहि मे छन्द विशेषक सघन अनुभूति के कलात्मक रुप मे प्रस्तुत कएल गेल अछि वण्र्य विषय मे विविधता अछि

    एहि हाइकु कविता सब मे जीवनक प्रति आशा आओर विश्वास अछि अत्यन्त संक्षिप्त आओर सूक्ष्म भाषा मे लिखल गेल कृति एक दिश समाज के दर्पण अछि दोसर दिश समाजक लेल दिशा निर्देशक सेहो अछि

    एतऽ एक दिश मिथिलाक लोक संस्कृति, ग्राम्य संस्कृति सजीव रुप मे वर्णित अछि दोसर दिश दार्शनिक चिन्तन सेहो समाहित अछि

जलजमीन
स्वच्छ रहला पर
धरती स्वर्ग

    सारांशतः एहि कृति मे लघुतम कलेवर मे गंभीर भाव आओर विचार के सशक्त अभिव्यक्ति सराहनीय अछि वास्तव मे एकटा पठनीय आओर संग्रहणीय कृति  अछि संरचनाक दृष्टि सँ सेहो एहि मे अभिव्यक्त भाव, विचार आओर अनुभूतिक गहनता सराहनीय अछि विनीत ठाकुरजी के हार्दिक बधाई तथा हुनक उत्तरोत्तर प्रगति के लेल हार्दिक शुभकामना

        प्रा= डा= उषा ठाकुर
        सदस्य
        नेपाल प्रज्ञाप्रतिष्ठान
        कमलादी, काठमाण्डू





हाइकु अन्तरिक्षक एकटा नव उपग्रह : वसुन्धरा

    गढि़कऽ रचना करब हमरा कहियो नीक नहि लागल हम ओहन रचना के गढ़ब बुझैत छी जाहि मे लेख्य अनुशासनक बात कहल जाइत होइक यथा गजल लेखन, कोनो विशेष अवसरक गीत लेखन कविता लेखन आब तेहने काव्य अनुशासनक परिधि मे रहि नव प्रयोग हाइकु लेखन आयल अछि

    मैथिली भाषाक क्षेत्र मे सेहो हाइकु बेस लोकप्रिय भेल जा रहल अछि जापान सँ आएल काव्य विधा हिन्दी, नेपाली होइत मैथिली भाषा मे सेहो प्रयोग होमय लागल अछि एहि विधा के पुस्तकाकार प्रकाशन होइत अछि

    कहल जाइछ जापानी कवि आरकिन्दा मोरिताके ( १४४२१५४० ई. ) मे पहिल बेर हाइकु लिखलनि, यद्यपि तहिया एकराहाइकाइ कहल जाइत छल हाइकु बहुत बाद मे नामकरण भेल मोरिताकेक हाइकु देखू :

        खसल फूल
        डाढि़ पऽ घूरत की
        देख, तितली ( मैथिली अनुवाद )

    नेपाल मे हाइकु लिखनिहार नेपाली कविक कमी नहि अछि ओना वि.सं. २०१९ साल मे शंकर लामिछाने  'रुपरेखा' पत्रिका मे पहिल बेर हाइकु कविता प्रकाशित करौने  छलाह

    तखन  वसुन्धराहाइकु संग्रह पर विचार करबा सँ पूर्व हाइकुक काव्य अनुशासन पर ध्यान दी उत्तम रहत हाइकुक काव्य अनुशासन पर अपन विचार रखैत डा. जगदीश व्योम लिखैत छथि :

=      हाइकु सत्रह वर्ण मे लिखल जाय बला सब सँ छोट कविता थिक एहि मे तीन पाँति रहैछ, जाहि मे पहिल वर्ण, दोसर मे तेसर मे फेर वर्ण

=      संयुक्त वर्ण सेहो एक्कहि वर्ण मानल जाइत अछि

=      किछु हाइकुकार एक्कहि वाक्य के वर्ण के क्रम मे तोडि़ कऽ लिखैत छथि जे सर्वथा गलत अछि

    वास्तव मे प्रकृतिक मनमोहक चित्रणक हेतु हाइकु एकटा सशक्त विधा मानल जाइत अछि कम शब्द मेघाव करत गंभीर सन भाव मे समेटने एकटा पूर्णताक बोध करबैत अछि हाइकु

    हमरा समक्ष मे मैथिली नेपाली साहित्यक अत्यन्त प्रखर, उत्साही, तिरहुता लिपिक अभियानी विनीत ठाकुरजीक हाइकु संग्रहवसुन्धरा पाण्डुलिपि राखल  अछि प्रकृतिगत चित्रण हो अथवा जीवनक कोनो यथार्थ सन्दर्भक आकलन सुन्दर, सटीक भाव दिश गंभीर बला अर्थ के सार्थक करैत हाइकु के जोहने छथि हम हुनक मेहनत लगनशीलता के पूर्वे सँ प्रशंसक रहलहुँ अछि एहि हाइकु संग्रह सँ आओर बढ़बे कएल अछि





     हुनक हाइकु के प्रकृति पक्ष मजबूत छन्हि छोट शब्द मे प्रकृतिक जे सौन्दर्यक व्याख्या हुनक हाइकु मे आएल अछि मुग्धकारी अछि किछु हाइकु के देखि स्वतः एकर भान भऽ जाएत :
वर्षाक बुन्द
इन्द्र धनुषी रुप
धन्य प्रकृति

प्रचण्ड गर्मी
छटपट दादुर
भथल कूप

    उपर के किछु पंक्ति मे जेना प्रकृति सजीव भऽ आगा मे ठाढ़ भऽ गेल हो कूप मे बास बनौने बेंग प्रचण्ड गर्मी सँ सुखल अपना बासक अभावे कोना छटपटा रहल अछि, एहि दृश्यबिम्ब के ठाढ़ करैत कवि ( हाइकुकार ) सम्पूर्ण परिवेश के जीवन्त कऽ देने  छथि

कचबचिया
करैए कचबच
पहर बोध

    विशुद्ध गामघरक अप्पन सांस्कृतिक परिवेश तकरा परम्परागत मान्यताक शब्द मे रुपान्तरण हम मुग्ध छी एहि कविक बिम्बक पकड़ तकर सन्धान पर विनीतजी खूब समधानि कऽ मैथिली काव्य साहित्य जगत मे हाइकुक स्थापना कएलनि अछि

    मनुक्खक आम जिनगीक पलपल घटैत घटना तकर प्रभावक मूल्यांकन कतौ एहनो भऽ सकैछ :
मगरमच्छ
दयालु साधु लग
बहाबे नोर

    हाइकुक शब्द अनुशासन के बेसी हद धरि आत्मसात करैत प्रकृति मानवीय धरातलक सूक्ष्म तरंग के अपन शब्दक तूलिका सँ जाहि तरहेँ हृदयग्राही विधाक निर्माण कएलनि अछिमैथिली साहित्य हुनक एहि शब्द कौशल सँ समृद्ध भेल अछि हमरा लगैत अछि आबऽ बला समय मे हाइकुक सूक्ष्म अन्तरिक्ष मे विचरण करैत बहुतो नामधारी ग्रहउपग्रहक मध्य विनीतजीक नवका उपग्रहवसुन्धरापठनीय संग्रहणीय कृतिक रुप मे समादृत होयत से हमरा विश्वास  अछि

        रामभरोस कापडि़  भ्रमर
        पूर्व सदस्य
        नेपाल प्रज्ञाप्रतिष्ठान
        कमलादी, काठमाण्डू




हाइकु श्रृंखला
Maithili Haiku



.
सगरमाथा
सर्वोच्च हिमालय
धन्य नेपाल ।

.
साँपक अण्डा
निकलय मुँह सँ
सामना करी ।

.
देख गुलेती
चतरल डारि सँ
पौरकी फुर्र ।

.
ककरुबिच्छ
मकरा के जाल मे

करे संघर्ष  ।



.
वन–जंगल
प्रकृतिक श्रृंगार
विनाश रोकी ।

.
पाकल लीची
घेरल छै जाल सँ
कौवा के घोल ।

.
चितवन मे
एक सिंहक गैड़ा
धन्य निकुञ्ज ।

.
कोइली गावे
महुवा के डारि पऽ

वासन्ती राग ।


.
नभ मे उर्जा
सुरुजक लाली सँ
धरती स्वर्ग ।।

१०.
वर्षाक बाद
इन्द्रधनुषी रुप
धन्य प्रकृति ।

११.
बथुवा साग
जमाइनक छौँक
स्वाद भरल ।

१२.
पाँखि पसारि
बहार भेल चुट्टी

चिल्ह के भोज ।
































































७३.
रातुक तारा
आकाशक दुलार
तृप्त नयन

७४.
सखुवा गाछ
चीर कऽ पासान के
परसे छाँही

७५.
बाघ भालू
बानर के जाल मे
खढि़या खुश

७६.
शान्त नदी मे
हेलैत चान देखि
खुश वसन्त




७७.
सपनौर सँ
लड़ल गहुमन
खण्डित भेल

७८.
दू टा विवाह
कयलक मुसबा
अगहन मे

७९.
कुकुर देखि
नुकाएल बिलरा
भुसाक घर

८०.
साँढ़, बरद
लड़ल दरबाजा
ढ़हल टाल




८१.
अपन रंग
बदले गिरगिट
मौसम संग

८२.
अँरिया खस्सी
देवीजी मन्दिर मे
चढ़ल भोग

८३.
वर्षा ऋतु मे
भीजल धरातल
थाल कादो

८४.
कारी बादल
बनि कऽ हिमकण
वर्षे पाथर




८५=
सिक्कैट पर
पाकल तिलकोर
खोदैय सुगा

८६=
कमल फूल
पर्शुराम कुण्ड मे
हेलैय सिल्ली

८७=
साइकल सँ
पर्यावरण रक्षा
उर्जा वचत

८८=
जुआन बाघ
हाथी सँ लडि़गेल
गिद्धक भोज



८९=
मुदुस्सा चिड़ै
दिन भरि आन्हर
साँझ मे तेज

९०=
बकुला ध्यान
नदी के किनार मे
हेले बुआरी

९१=
डोकहर के
लग मे गहुमन
उगले विष

९२=
चिल्हक पंजा
परल रहु पर
छुटल प्राण




९३=
कारी महिस
घाँसक हरियरी
दूधक धार

९४=
खोँता सँ मैना
उड़ऽलेल आतुर
बाहर जाल

९५=
चलाक भालू
गाछ पर चढि़ कऽ
चटैय मधु

९६=
अरुवा फूल
लगैय तरुआरि
नदी किनार




९७=
चंदन गाछ
चुनमुन चिड़ैया
ससरे साँप

९८=
धनुषा धाम
बहैत बाल गंगा
पवित्र भूमि

९९=
मानिक दह
शुरमा शलहेश
जीवन्त तीर्थ

१००=
देखि महिस
नमरैत छै जोँक
भीजल घाँस








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