कविता / गीत

बदलैत परिवेश  






















































































































































































बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज

मैथिली कविता आ गीति संग्रह
तिरहुता (मिथिलाक्षर) आ देवनागरी लिपि

विनीत ठाकुर















कञ्चिकथन

जाहि माटि सँ महाशक्ति भगवती जननी जानकी मैथिली स्वतः मानुष रुप में प्रकट भेलीह, वैह भूमि थीक मिथिला हुनके अनुकम्पा सँ एहि माटि में प्राचीन कालहिं सँ अनेक विभूति लोकनिक प्रादुर्भाव भेलन्हि अछि मिथिला में उत्पन्न सबगोटे मैथिल कहवैत छथि तैं हरेक मिथिलाक वाल, वृद्ध, वनिताक परम कत्र्तव्य छन्हि समयक मांग अछि जे हे नेपालक मैथिल लोकनि आबो जागू अधिकार प्राप्तिक लेल सुतल रहला सँ कहियो नहि भेटत अधिकार आगू बढू मिथिला मैथिलक खातिर, अपन अधिकारक खातिर मिथिलाक शानक खातिर आव उचित समय आवि गेलैक अछि जे हमसब मैथिल लोकनि एक जूटता देखा बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज कहनिहार माय मैथिलीक अन्तर्वेदना कें बुझियौक यैह भावना सँ प्रेडि़त भऽ एक मैथिली पुत्र विनीत ठाकुर अपन अधिकार प्राप्त करवाक लेल गीतक माध्यम सँ उद्बोधन करबाक प्रयास कयलन्हि अछि साथहिं जातिगत भेदभाव छोरि मैथिल मिथिला अछि हमर शान बुझबाक लेल विशेष रुपें आग्रह करैत छथि एकर अलावा विनीत ठाकुर द्वारा लिखित विभिन्न गीत में वन विनाश कत्र्ता मानव के देखा कऽ परिणामक भागी ओकरे बनेबाक प्रयास बहुत नीक छन्हि
आइ काल्हिक बेटा लोकनिक सासुरक प्रति झुकाव मायबापक प्रति मनमुटावक सफल सटीक चित्रण कयलन्हि अछि साथहि दरुपीवा अंगरेजिया पतिक, इन्टर्नेटक कमालक च्याटिंग सँ शुरु होमय वला पे्रम कहानीक सफल वर्णन करऽ में गीतकार प्रथमहि प्रयास में सफल भेलाह अछि गीतकारक प्रस्तुत विभिन्न गीत में माय मैथिलीक प्रति भक्ति, वेदना, करुणा व्यथा स्वाभाविक रुप में गीतक रुप लऽ कऽ व्यक्त भेल अछि स्वानुभव कें गीतक रुपमे प्रकट कऽ आत्मिक शान्ति प्राप्त करवाक श्री ठाकुर प्रयास कयलन्हि अछि एहि कार्य में सफल सेहो भेलाह अछि


                        रमेश झा, सह प्राध्यापक
                        संस्कृत नेवारी शिक्षण समिति
                        त्रिचन्द्र कालेज, काठमाण्डू, नेपाल
 



दू शब्द


बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज कहव छन्हि माय मिथिलाभूमिं कें तैं हे मैथिल लोकनि अथवा हे मधेशी समाज आइ काल्हुक २१वीं शताब्दी में सब वर्ग या जाति अपन अपन अधिकारक रक्षाक और अधिकार प्राप्तिक हेतु एकता बद्ध नीडर भऽ कऽ अहर्निश प्रयत्नशील अछि, अतः हमहुँ आँहा एकजूट निर्भीक भऽ अधिकार प्राप्तिक हेतु तत्पर होई से आग्रह गीतक माध्यम सँ करबद्ध प्रार्थना कऽ रहल छी पोथीक अन्तमे किछु नुनगर चहटगर गीत सभ सेहो राखलगेल अछि तहिना देवनागरी लिपीक मिथिलाक्षर में रुपान्तर करबाकलेल श्री गंगेश गुंजन झा जी कन्भर्टर बनाकऽ सहयोग केलैन्हि अछि ताहिलेल हुनका धन्यवाद अस्तु जय मिथिला जय मैथिल
इति शुभम्


श्रद्धावनत
विनीत ठाकुर






बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज

गीति श्रृंखला


.      भरल नोर में
.      गामनगर में
.      कोरो पाढि
.      चहुँदिश अमङ्गल
.      जे करथि घोटाला
.      जाइतक टुकरी
.      बेटीक भाग्य विधान
.      कम्प्यूटरक दुनिया
.      अङ्गरेजिया
१०.    ताल मिसरी






=      भरल नोर में

केहन  सपना  हम मीता देखलौँ भोर में
माय  मिथिला  जगाबथि  भरल नोर में
कहथि रने वने घुमी अपन अधिकार लेल
छैं तूँ सुतल छुब्ध छी तोहर बिचार लेल

कनिको  बातपर  हमरा  तूं करै  विचार
की सुतलासँ ककरो भेटलै अछि अधिकार
जोरि एक एक हाथ बनवै जो लाखों हाथ
कर हिम्मत तूं पुत्र छियौ हम तोहर साथ

अछि तोरापर बाँकी हमर  दूधक कर्ज
करै एहिबेर तूं पुरा सबटा अपन फर्ज
लौटादे  हमर  आब अपन स्वाभिमान
पुत्र तूं छै महान तोहर कर्म छौ महान |








































1 comment:

  1. उत्तम योगदान Binit Thakur सर‍‍‍.... इतीहास स्मर्ण करत अपनेक ...

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