Thursday, April 11, 2019



नित भोर मैया जलक अर्घ सँ सुरुज के करे प्रणाम
सन्तान हमर हो प्रबल प्रतापी करे मिथिला मे नाम
मिथिला मैथिलिक खातिर बढे ओ सदिखन आँगा
सभ के बान्हे एक सूत्र मे बुने एहन प्रेमक धागा
अपन माटि पानी के बुझे सटाकऽ राखे छाती
ककरो अनिष्ट नहि सोँचे जरबैत रहे प्रेमक बाती

कविता

नित भोर मैया (मैथिली कविता) नित भोर मैया जलक अर्घ सँ सुरुज के करे प्रणाम सन्तान हमर हो प्रबल प्रतापी करे मिथिला मे नाम मिथ...