सन्तान हमर हो प्रबल प्रतापी करे मिथिला मे नाम
मिथिला मैथिलिक खातिर बढे ओ सदिखन आँगा
सभ के बान्हे एक सूत्र मे बुने एहन प्रेमक धागा
अपन माटि पानी के बुझे सटाकऽ राखे छाती
ककरो अनिष्ट नहि सोँचे जरबैत रहे प्रेमक बाती
सभ के बान्हे एक सूत्र मे बुने एहन प्रेमक धागा
अपन माटि पानी के बुझे सटाकऽ राखे छाती
ककरो अनिष्ट नहि सोँचे जरबैत रहे प्रेमक बाती
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